26 अगस्त को नेशनल डॉग डे मनाया
जाता है। गत सप्ताह कपिल शर्मा के
कॉमेडी शो में स्ट्रीट डॉग्स पर दया दिखाने का जिक्र प्रमुखता से किया गया था। शो
के मेहमान, भोजपुरी सिनेमा के सुपर स्टार व सांसद रवि किशन ने भी कहा कि वह
जानवरों पर अत्याचार के खिलाफ कड़े प्रावधानों के लिए संसद में बिल प्रस्तुत करेंगे।
इस बीच, खतरों के खिलाड़ी
टीवी शो की शूटिंग में व्यस्त अभिनेता करन पटेल का एक वीडियो सोशल मीडिया में
वायरल हो गया, जिसमें वह वोर्ली मुंबई में अत्याचार के शिकार हुए लकी नामक एक डॉग
की हत्या में शामिल लोगों को धमकाते हुए कह रहे हैं कि विदेश से लौटकर वह आरोपियों
की ढंग से खबर लेंगे।
बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का
शर्मा पहले ही सोशल मीडिया पर जस्टिस फॉर एनीमल्स हैशटैग के साथ एक अभियान छेड़
चुकी हैं। उनकी मांग है कि जानवरों पर अत्याचार के खिलाफ 1960 में बने कानूनों में
संशोधन कर उन्हें अधिक सख्त बनाया जाये। बॉलीवुड के कुछ अन्य बड़े एक्टर्स भी कानून
में सख्ती के हिमायती हैं, जिनमें सोनम कपूर, जैकलीन फर्नांडीज, इरफान खान और जॉन
अब्राहम आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
जेल की सजा बढ़ायी जानी
चाहिए
ब्लॉगर्स एलाएंस (चंडीगढ़ चैप्टर) के प्रेसीडेंट, नरविजय यादव का कहना है, ''जरूरत इस बात की है कि प्रीवेंशन
ऑफ क्रूएलिटी टु एनीमल्स एक्ट 1960 में संशोधन करके इसमें सजा के प्रावधान सख्त
किये जाएं। फिलहाल कुत्ते को मारने पर दो से पांच साल की सजा का प्रावधान है।
कुत्तों को तकलीफ देने, चोट पहुंचाने और मारने पर इससे भी अधिक कठोर सजा दिये जाने की
आवश्यकता है। साथ ही, हर कॉलोनी व हाउसिंग सोसाइटी में वहां जन्मे कुत्तों के लिए
रहने की सुरक्षित जगह और खाने-पीने के लिए फूड कॉर्नर होना चाहिए। हर घर से एक
रोटी भी मिल जाये, तो ये जीव भूखे नहीं रहेंगे। स्ट्रे डॉग्स को भारतीय संविधान के तहत जीवन का अधिकार प्राप्त है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी डॉग को उसके जन्मस्थान से हटाना एक दंडनीय अपराध है।''
सदियों पुरानी दोस्ती
आदिकाल में, मनुष्य ने
कुत्ते पालने की शुरुआत की। प्रारंभिक पालतू पशुओं में कुत्ते प्रमुख थे। इस बात
के प्रमाण हैं कि 12,000 से अधिक वर्ष पूर्व, आदि मानव ने शिकार में साथ देने, रक्षा
करने और दोस्ती के लिए कुत्तों को अपने साथ रखना शुरू किया। ग्रे वुल्फ यानी भूरे
भेड़ियों को कुत्तों का पूर्वज माना जाता है और इनका संबंध लोमड़ी व सियार से भी है।
जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से मनुष्य ने अपनी जरूरत के हिसाब से कुत्तों की 400
से ज्यादा ब्रीड तैयार कर लीं।
अब समस्या क्या है?
सड़क पर पलने वाले कुत्तों का
जीवन संकट में है। कुत्तों के काटने की खबरें अक्सर ही सामने आती रहती हैं।
अस्पतालों में रेबीज की वैक्सीन का अभाव है। कुत्तों की आबादी निरंतर बढ़ रही है।
देश में इनकी संख्या अनाधिकारिक तौर पर 30 करोड़ से ऊपर है। सड़कों पर मोटर गाड़ियों
की आवाजाही तेज हो गयी है, जिससे डॉग्स का चलना-फिरना दुश्वार है। कुछ नासमझ लोग
इन बेजुबानों पर पत्थर मारते हैं, उन्हें बोरे में बंद करके कहीं दूर फेंक आते हैं
और कुछ निर्दयी लोग इन्हें जहर देकर भी मार देते हैं। कुछ पालतू कुत्तों की भी
दुर्दशा हो जाती है। कई गैर-जिम्मेदार लोग पालतू कुत्तों को दूर लावारिस हालत में
छोड़ आते हैं या भूखा-प्यासा बांध देते हैं।
समस्या की वजह क्या है?
कुछ दशक पहले सब ठीक था।
परंतु, आधुनिक बहुमंजिला इमारतों, स्मार्ट शहरों और टैक्नोलॉजी के विस्तार ने
कुत्तों का जीवन मुश्किल में डाल दिया है। हाउसिंग सोसाइटीज में रहने वालों को नीचे मौजूद कम्युनिटी डॉग्स की भूख-प्यास और परेशानी नजर नहीं आती। सोसाइटीज और आधुनिक मकानों में कम्युनिटी डॉग्स के बैठने या खाने-पीने
की जगह तय नहीं होती है। स्वच्छता अभियान के चलते कूड़ा-कचरा भी दूर डाला जाता
है, जिससे डॉग्स को कई बार भूखे रहना पड़ता है। वृक्ष, तालाब, हैंडपम्प सब नदारद
हैं। ऐसे में, कुत्तों को न खाना नसीब हो पाता है, न पानी और न छाया। ऊपर से,
कुछ निर्दयी लोग उन्हें चोट पहुंचा देते हैं। जानवरों पर अत्याचार की खबरें
अखबारों में तो नहीं दिखतीं, लेकिन सोशल मीडिया पर बहुत कुछ आता रहता है।
जिस जानवर को कभी मनुष्य ने
अपने जिगरी दोस्त का दर्जा दिया और खुद ही उसे विकसित किया, आज उसी मानव को हजारों
साल पुराना वफादार दोस्त अब बेकार लगने लगा है। विडंबना देखिए कि देश में हर रोज
लाखों टन बचा हुआ भोजन नालियों में बहा दिया जाता है, कूड़े में फेंका जाता है,
लेकिन यह भूखे इंसानों या कम्युनिटी डॉग्स तक नहीं पहुंच पाता है। लोग एक भूखे
कुत्ते को रोटी का टुकड़ा नहीं देते हैं, उल्टे कई सिरफिरे उन्हें शारीरिक चोट
पहुंचाते हैं, जबकि ये बेचारे मासूम जानवर अपने जीवन के लिए पूरी तरह से मनुष्य पर
ही आश्रित हैं।
जागरूकता जरूरी
जानवरों और लावारिस कुत्तों की
वेलफेयर में जुटे एनजीओ, स्वयंसेवकों व प्रशासन का दायित्व है कि लोगों में
जागरूकता उत्पन्न करें। सरकार को चाहिए कि कानून कड़े करे और कुत्तों की नसबंदी व
टीकाकरण सुनिश्चित करें। कुत्ते अपनी आबादी को खुद नियंत्रित नहीं कर सकते। इसके
लिए मनुष्यों को ही प्रबंध करना होगा। समाज के प्रबुद्ध वर्ग और सेलिब्रिटीज को
चाहिए कि समय-समय पर बेजुबानों की समस्याओं की चर्चा करें और लोगों को जागरूक करते
रहें। लोगों को पैट शॉप से महंगे डॉग खरीदने की बजाय, शैल्टर होम्स में उपलब्ध
लावारिस और जरूरतमंद डॉग्स को एडॉप्ट करना चाहिए। देशी कुत्तों के बच्चों को भी
पालना चाहिए। कॉमेडियन कपिल शर्मा ने खुद कुछ स्ट्रीट डॉग पाले हुए हैं।
नेशनल डॉग डे
हर साल 26 अगस्त को नेशनल
डॉग डे मनाया जाता है। इसकी शुरुआत, अमेरिका की पशु प्रेमी और पैट एक्सपर्ट, कोलीन
पैज ने 2004 में की थी। इसी दिन उनके घर में शैल्टी नामक एक डॉग को गोद लिया गया
था। यह दिन, पालतू और लावारिश दोनों ही तरह के डॉग्स के बारे में जागरूकता फैलाने
और उनकी समस्याओं को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। सभी पशु प्रेमियों को इस
दिन डॉग्स को उपहार देने चाहिए। उन्हें भोजन कराना चाहिए, कहीं घुमाना चाहिए। उनके
साथ खेलना चाहिए। यदि आपके पास पालतू डॉग न हो, तो किसी अन्य के डॉग अथवा अपनी
कॉलोनी के डॉग्स को खाना देना चाहिए। डॉग्स मानव समाज का अभिन्न अंग रहे हैं।
डॉग्स खुश रहेंगे तो समाज में खुशहाली और दोस्ती का माहौल रहेगा।
आम लोगों के लिए सुझाव
सड़क पर जीवन बिताने वाले और
कम्युनिटी डॉग्स को खाने के लिए रोटी, बिस्कुट, बचा भोजन और पानी दें। कार, बाइक
या बैग में बिस्कुट का पैकेट साथ रखें। खिलाने को कुछ न दे सकें, तो प्यार से
पुचकारें अवश्य। डॉग से डर लगता हो तो उससे निगाह न मिलाएं और सुरक्षित दूरी पर
रहें। किसी भी स्थिति में डॉग को मारें नहीं, वरना जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
कोई कहीं भी डॉग को परेशान कर रहा हो तो उसकी शिकायत पुलिस, नगर पालिका, एनजीओ या
एनीमल लवर्स से करें। फेसबुक पर एनीमल लवर्स के अनेक ग्रुप और पेज सक्रिय हैं,
जैसे @जॉय फॉर एनीमल्स, @डॉगिटाइजेशन और @बॉम्बे एनीमल राइट्स। इनसे जुड़ें और
जरूरी पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करें। पालतू डॉग कोई खिलौना नहीं, बल्कि आपकी ही
तरह एक जीवित व्यक्ति है, जो बस बोल नहीं पाता है। पैट को तंग न करें और कभी उसे
लावारिस न छोड़ें। आप नहीं पाल सकते हों तो किसी डॉग लवर को दे दें। अनजाने इलाके
में पहुंचने पर दूसरे डॉग इन पर हमला कर देते हैं और भोजन तलाशना इनके लिए एक बड़ी
समस्या हो सकती है। किसी जानवर को घर में तभी रखें, जब आप जीवन भर के लिए उसकी जिम्मेदारी
ले सकते हों। जानवरों पर दया करें और एक जिम्मेदार नागरिक बनें।
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